♥श्रीकृष्णचन्द्र♥

 
♥श्रीकृष्णचन्द्र♥
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हरि तुम काहे को प्रीत लगाई? प्रीत लगाई पर दुख दीनो कैसी लाज न आई।। हरि तुम. गोकुल छाँडि मथुरा को जाओ वा में कौन बड़ाई? हरि तुम. मीराँ के प्रभु गिरधरनागर तुमको नन्द दुहाई।। हरि तुम.
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