❤श्री राधिका ब्रजराज❤

 
❤श्री राधिका ब्रजराज❤
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आज कछु देखियत ओर ही बानक प्यारी तिलक आधे मोती मरगजी मंग।रसिक कुंवर संग अखारे जागी सजनी अधर्सुख निस बजावत उपंग॥१॥नव निकुंज रंग मंडप में नृत्य भूमि साजि सेज सुरंग।तापर विविध कल कूजित सखी सुनत श्रवन वन थकित कुरंग॥२॥कृष्णदास प्रभु नटवर नागर रचत नयन रतिपति व्रत भंग।मोहनलाल गोवर्धनधारी मोहि मिलन चलि नृत्य अनंग॥३॥
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shwetashweta
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