❤श्री राधे गोविंद❤

 
❤श्री राधे गोविंद❤
तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार। मुरली तेरी मन हर्यो, बिसर्यो घर-व्यौहार॥ जब तें सवननि धुनि परि, घर आँगण न सुहाइ। पारधि ज्यूँ चूकै नहीं, मृगी बेधी दइ आइ॥ पानी पीर न जानई ज्यों मीन तड़फि मरि जाइ। रसिक मधुप के मरम को नहिं समुझत कमल सुभाइ॥ दीपक को जो दया नहिं, उड़ि-उड़ि मरत पतंग। 'मीरा' प्रभु गिरिधर मिले, जैसे पाणी मिलि गयो रंग॥
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