radha krishna

 
radha krishna
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देखो माई रुप सरोवर साजें । व्रजवनिता व्रज वारि वृन्दमें, श्रीव्रजराज बिराजें ॥ १ ॥ लोचन जलज मधुप अलकावलि, कुंडल मीन सलोलें । कुच चक्रवाक विलोक वदन विधु, बिछुरि रहे बिन बोलें ॥ २ ॥ मुक्तामाल बगपाँति मनोहर, करत कुलाहल कूल । सारस हंस चकोर मोर शुक, वैजयंती समतूल ॥ ३ ॥ कनक कपिश निचोल विविध रंग, विरह व्यथा बिसरावे । सूरदास आनंद सिंधुकी, शोभा कहेत न आवे ॥ ४ ॥
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